” बातें ही बातें हैं ————————– ” !!
चाहत मेरी पहचानता नहीं ,
दिल की बातें वह जानता नहीं !!
फूलों की माला है चुनी बुनी ,
बांध चुके गांठें मानता नहीं !!
आंखों में नींदों की खता कहां ,
आस चढ़ी सूली जानता नहीं !!
अलकें हैं काली सी घटा यहां ,
भीगें हम दोनों मानता नही !!
बातें ही बातें हैं अदा कभी ,
सब कुछ पायेगा मानता नहीं !!
अपनों ने अकसर दी सज़ा यहां ,
गैरों के दिल की जानता नहीं !!
खुशबू को बांधा है यदा कदा ,
वक़्त ठहर जाये ठानता नहीं !!
हमने तो बुन डाले सपन कई ,
पल ने जो ठानी मानता नहीं !!
दुनिया में मतवाला दिखे वही ,
सूरत दूजी पहचानता नहीं !!
वाहहहहहहह