गजल
वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए
बाखुदा हूं खुदा बाखुदा कीजिए
दर्दे – दिल आज मेरे मुकाबिल रहे
सुखनवर से उन्हें आशना कीजिए
चांद तक की अदा कुछ सँवर जायेगी
अश्क आंखों से गर आबशा कीजिए
कल्बे – रहबर इनायत बनी गर रहे
चंद – लम्हों में फिर राब्ता कीजिए
मशवरा ये हुकूमत तुम्हीं से लेगी
नौजवानों खड़ा काफिला कीजिए
जब वरक लफ्ज तेरे आगोश मे हैं
दर्दे दिल लिख के ही रतजगा कीजिए
मुझको अरविन्द हर सू नजर आते हैं
मोजिज़ा ही सही मोजिज़ा कीजिए
बाखुदा – खुदा के लिए, मुकाबिल – आमने सामने , सुखनवर – शायर , आशना – परिचय , आबशा/आबशार – झरना , कल्बे रहबर – पथप्रदर्शक की पहले, राब्ता – मुलाकात, वरक – पन्ना, मोजिज़ा – चमत्कार