गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

मोसमी दाब है बयानों से
बात बनती नहीं सितारों से
जुर्म है ये तरस किनारों से
हो गई दुश्मनी नजारों से
हाल दिल का ज़ुबाँ नही कहना
बात फैले कही दीवारों से
दूर तक कुछ नजर नहीं आता
राह धुँधली हुई ग़ुबारों से
रोज सुनते हैं हम इशारों से
चांद की गुफतगू सितारों से
ड़र सा लगता है अब तो फूलों से
साथ अपना रहा है खारों से
फ़ासले बढ़ गए बहुत अब तो
उससे मिलना हुआ न सालों से
रेखा मोहन   

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]

One thought on “गज़ल

  • कुमार अरविन्द

    जबरदस्त

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