गीतिका/ग़ज़ल

प्यार वफ़ा कस्में वादे बातें केवल निकले

प्यार वफ़ा कस्में वादे बातें केवल निकले
रिश्तों की चादर में लिपटे अनगिन छल निकले

अपनों के आँसू परखे तो यह परिणाम हुआ
कुछ के घड़ियाली तो कुछ के गंगाजल निकले

जिनको संदल समझा हमने निकले धूल सभी
जिनको धूलि समझ ठुकराया वो संदल निकले

जो बेहद इतराते थे खुद को सागर कह कर
पास गये जब उनके तो केवल मरुथल निकले

जो केवल दौलत के पीछे भागे जीवन भर
खाली हाथ वही दुनिया से बीते कल निकले

दानव से भी क्रूर मिले टीका टोपी धारी
आम जनो के दिल देखे सचमुच निर्मल निकले

जो आया है दुनिया मैं उसको जाना होगा
खुद को मालिक कहने वाले बीते कल निकले

तू अपने गीतों ग़ज़लो पर मत इतरा बंसल
तुझसे बेहतर गुमनामों के गीत ग़ज़ल निकले

सतीश बंसल
२१.०४.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.