प्यार वफ़ा कस्में वादे बातें केवल निकले
प्यार वफ़ा कस्में वादे बातें केवल निकले
रिश्तों की चादर में लिपटे अनगिन छल निकले
अपनों के आँसू परखे तो यह परिणाम हुआ
कुछ के घड़ियाली तो कुछ के गंगाजल निकले
जिनको संदल समझा हमने निकले धूल सभी
जिनको धूलि समझ ठुकराया वो संदल निकले
जो बेहद इतराते थे खुद को सागर कह कर
पास गये जब उनके तो केवल मरुथल निकले
जो केवल दौलत के पीछे भागे जीवन भर
खाली हाथ वही दुनिया से बीते कल निकले
दानव से भी क्रूर मिले टीका टोपी धारी
आम जनो के दिल देखे सचमुच निर्मल निकले
जो आया है दुनिया मैं उसको जाना होगा
खुद को मालिक कहने वाले बीते कल निकले
तू अपने गीतों ग़ज़लो पर मत इतरा बंसल
तुझसे बेहतर गुमनामों के गीत ग़ज़ल निकले
सतीश बंसल
२१.०४.२०१८