फ़र्ज से दिन रात करना बेवफ़ाई छोड़ दो
फ़र्ज से दिन रात करना बेवफ़ाई छोड़ दो
छोड़ दो शैतानियत या रहनुमाई छोड़ दो
दूसरों की बात को जो कर रहे हो अनसुना
रहनुमाओं अब ज़रा ये ख़ुदनुमाई छोड़ दो
रोटियां सबसे ज़रूरी मस’अला है देश में
मजहबों के नाम नाहक़ सरख़फाई छोड़ दो
देश की मिट्टी हवा पानी सभी के हैं जनाब
इन सभी के वास्ते करना लड़ाई छोड़ दो
कोठियाँ गाड़ी रुपैया साथ कुछ जाना नहीं
लूट कर मजलूम को करना कमाई छोड़ दो
कर रहे हैं देश को बदनाम वे जो बे हया
देश के उन द्रोहियों से आशनाई छोड़ दो
लिख सके जो सच ड़रे बिन आज के इस दौर में
दोस्तो दावात में वो रोशनाई छोड़ दो
सतीश बंसल
२२.०४.२०१८