मंजिलें उस ओर थीं जाने किधर जाने लगे
मंजिलें उस ओर थीं जाने किधर जाने लगे
छोड़ कर अपनी ड़गर हम किस ड़गर जाने लगे
कल तलक जिस रास्ते को कह रहे थे हम गलत
क्या हुआ हमको अचानक हम उधर जाने लगे
जब गलत को हम गलत कहने लगे तो ये हुआ
कारवां को दोस्त सारे छोड़ कर जाने लगे
आदमी से आदमी को जोड़ता था धर्म जो
अब उसी के नाम से क्यूँ लोग ड़र जाने लगे
राहे सच पर मौत से जब सामना होने लगा
छोड़कर हमको अकेला लोग घर जाने लगे
ग़ैर तो फिर ग़ैर हैं उनसे शिकायत क्या करें
जब हमारे हमसफ़र ही छोड़कर जाने लगे
सोचिये वो फैसला इंसाफ है या और कुछ
छोड़ जज कानून जिसके बाद घर जाने लगे
सतीश बंसल
१७.०४.२०१८