गीतिका/ग़ज़ल

मंजिलें उस ओर थीं जाने किधर जाने लगे

मंजिलें उस ओर थीं जाने किधर जाने लगे
छोड़ कर अपनी ड़गर हम किस ड़गर जाने लगे

कल तलक जिस रास्ते को कह रहे थे हम गलत
क्या हुआ हमको अचानक हम उधर जाने लगे

जब गलत को हम गलत कहने लगे तो ये हुआ
कारवां को दोस्त सारे छोड़ कर जाने लगे

आदमी से आदमी को जोड़ता था धर्म जो
अब उसी के नाम से क्यूँ लोग ड़र जाने लगे

राहे सच पर मौत से जब सामना होने लगा
छोड़कर हमको अकेला लोग घर जाने लगे

ग़ैर तो फिर ग़ैर हैं उनसे शिकायत क्या करें
जब हमारे हमसफ़र ही छोड़कर जाने लगे

सोचिये वो फैसला इंसाफ है या और कुछ
छोड़ जज कानून जिसके बाद घर जाने लगे

सतीश बंसल
१७.०४.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.