मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारों से बाहर निकलो
मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारों से बाहर निकलो
आड़म्बर की मीनारों से बाहर निकलो
इससे पहले दम घुट जाए दीवारों में
तुम नफ़रत की दीवारों से बाहर निकलो
जिनमें केवल सत्ता का गुणगान भरा हो
ऐसे झूठे अख़बारों से बाहर निकलो
बाहर निकलों झूठे सपनों की दुनिया से
अब थोथे झूठे नारों से बाहर निकलो
धरती पुत्र लगातें हैं फाँसी खेतों में
सत्ता वालों दरबारों से बाहर निकलो
कब जागोगे कब तक अंधे भक्त रहोगे
सत्ता के इन जयकारों से बाहर निकलो
इससे पहले मानवता की साँस थमें तुम
कट्टरता के बाज़ारों से बाहर निकलो
सतीश बंसल
२३.०४.२०१८