मेरे पिता
आप मेरा एहसास
आप ही मेरी आस हो
मेरे सपनों का आप ही आकाश हो
मेरा संबल मेरा आधार हो
मेरे हर सुख की पहली पहचान हो
मेरी थकन में, मेरी आस हो,
मेरे हर सपने का आप ही विश्वास हो
मेरी छोटी बगिया के आप ही बागबान हो,
शब्दों से क्या बयां करूँ मैं आपको
‘पिता स्वरुप’ आप ही मेरा संसार हो ..!!
रवि शुक्ल ‘प्रहृष्ट