कविता

कविता

मदहोशी का आलम छा रहा है,
दिल के दरिया में भूचाल आ रहा है!
हमारी हस्ती कुछ भी नही,
फिर जाने क्यों तलबगारो का सैलाब आ रहा है?
मैं डूब रहा हूँ शब्दों की गहराई में, जल्द ही इस लेखनी का मुकम्मल त्योंहार आ रहा है!
कलम अथक है, जज्बातों को इसका साथ बखूबी भा-रहा है!
मेरा वजूद लड़ता है मुझसे ,मिट्टी का पुतला मिट्टी पर ही इतरा रहा है!
इबादत करता हूँ मन में हर पल,
ख्वाहिशों के घरो को नित् सजा रहा हूँ!
बना रहे साथ हरकदम, अंधेरो के सायों को तेजी से ढ़हा रहा हूँ!

पवन अनाम
बरमसर
9549236320

पवन अनाम

नाम: पवन कुमार सिहाग (पवन अनाम) व्यवसाय: अध्यनरत (बी ए प्रथम वर्ष) जन्मदिनांक: 3 जुलाई 1999 शौक: कविता ,कहानी लेखन ,हिंदी एवं राजस्थानी राजस्थानी कहानी 'हिण कुण है' एक मात्र प्रकाशित लघुकथा ! शागिर्द हूँ! व्हाट्सएप्प नंबर 9549236320

One thought on “कविता

  • कुमार अरविन्द

    जय हो

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