ग़ज़ल
गुलशन में गुल महकते रहेंगे
है साथ उनका संभलते रहेंगे
असर दुआओं में भर लो इतना
हादसे खुद ब खुद टलते रहेंगे
पाना ही नहीं जिन्दगी का मकसद
नए ख्वाब दिलों में मचलते रहेंगे
कर ले मजबूत वजूद अपना
ये झोंके हवा के तो चलते रहेंगे
बाजी अभी तक नहीं हारी हमनें
सितमगर हर बार बदलते रहेंगे
बांध न सकी उम्र की बंदिश मणि
कहीं न कहीं से चर्चे निकलते रहेंगे
— मनीष मिश्रा मणि