लघुकथा

मदद

आज एक समाचार पढ़ा-
कन्नौज: काली नदी में डूब रहा था दोस्त, बचाने पहुंचे तो चारों की हुई मौत
इस समाचार ने मुझे 15 साल पहले का किस्सा याद दिला दिया.

एक शनिवार के दिन हमारे पड़ोसी अपने दोनों बेटों के परिवार सहित पिकनिक के लिए गए थे. पिकनिक स्पॉट पर स्विमिंग पूल भी था. सो दोनों बेटों ने स्विमिंग करने की ठानी. कुदरत का खेल देखिए- छोटा बेटा बहुत अच्छी स्विमिंग कर लेता था और स्विमिंग-कोच भी था. वही डूबने लगा. बड़ा बेटा उसे बचाने गया, लेकिन बचा नहीं पाया. स्विमिंग पूल के कर्मचारियों ने बड़े बेटे को तो बचा लिया, लेकिन छोटा बेटा नहीं बच पाया था. पिकनिक के लिए आया हुआ हंसता-खेलता परिवार ग़म के सागर में डूबा बेटे का शव लेकर घर वापिस आया.

आज भी वही हुआ था. एक दोस्त को बचाने के लिए तीन दोस्त भी उसके साथ ही विदा हो गए. होनी का खेल ऐसा ही होना था. दोस्तों ने जान की बाजी लगाकर भी दोस्त की मदद की अनोखी मिसाल प्रस्तुत की.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “मदद

  • लीला तिवानी

    अपने सामने अपने दोस्त को काली नदी में डूबता हुआ कैसे देख सकते थे उसके तीन दोस्त, सो दोस्त की मदद करने बाकी तीन दोस्त गए. दोस्ती को अमर कर वे तीनों भी दोस्त के साथ मौत के आगोश में सो गए.

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