इंसान की सोच
कहा जाता है की इंसान की सोच और पैर की मोच कब धोखा दे दे , कुछ कहा नही जा सकता है। क्योंकि इंसान ही एक ऐसा जीव है जिसकी सोच असीमित होती है। वो सबकुछ जानने के बाद भी उस वस्तु को हासिल करना चाहता है जिसे पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। क्योंकि इंसान जनता है कि जो वो कर रहा है,या करने जा रहा है उसकी संरचना उसके दिमाग मे बहुत पहले से ही बन चुकी है। जिसे वो केवल अब एक रूप दे रहा है। वो लाख न चाहने के वावजूद भी उस मुकाम को हासिल करना चाहता है, जो उसके लिए अकल्पनीय है। लेकिन एक तरह से देखा जाए तो ये अच्छी चीज है। क्योंकि ज्यादातर उस काम को करने में ज्यादा मजा आता है जिस काम को लोग कहते है कि ये नही होगा। लेकिन मुसीबतें उस वक़्त भी इंसान को मजबूर करने पर विवश कर देती है, क्योंकि कभी कभी इंसान किसी नए काम को शुरू करने के पहले वो अपनी बीती हुई बातों पर अपना ध्यान केंद्रित करने लगता है, जो उसके जीवन मे बर्षों पहले घटित हो चुकी होती है। जबकि कामयाब होने के लिए उन तमाम बातों को भूल कर “अब आगे क्या करना है ” इसपे ध्यान देना चाहिए। उन तमाम बीती यादों को अपने सफर से हटाकर उन रास्तों पर ध्यान देना चाहिए जो एक नए जीवन की शुरुआत करने के लिए आपका इंतजार कर रही है। क्योंकि उगते हुए सूरज की आराधना सारा संसार करता है दोस्तों । सबकी जिंदगी में उतार चढ़ाव होते रहते हैं, इसका मतलब यह तो नहीं कि हम हार मान ले। हम खुद को लेकर जितनी भी बातें सोचते है, उनमे से एक यह बात भी है कि “हम ऐसे क्यों है, क्यों हम कुछ चीजों को लेकर खास तरह से व्यवहार करते हैं या क्यों हम हँसने वाली बात पर रोते हैं और रोने वाली बात पर हँसते है”फिर भी इंसान अपनी सोच की बदौलत ही दुनिया का सबसे समझदार प्राणियों में गिना जाता है । जबकि वो सबकुछ समझने और सोचने के बाद भी नासमझी वाला काम करता है। इसलिए इंसान को अपनी सोच ऊँची रखनी चाहिए, लेकिन प्रयास यह भी करना चाहिए कि जो वह सोच रहा है, क्या वह सही है , जो वह कर रहा है क्या वह सही है, जो वह देख रहा है ,क्या वह सही है। अगर जवाब मिलता है कि “हा ” तो वाकई में आपकी सोच सराहनीय है।
चंदन कुमार दूबे
आपके स्नेह और प्यार की जरूरत है।