कविता “कुंडलिया” *महातम मिश्र 03/05/2018 टकटक की आवाज ले, चलती सूई तीन मानों कहती सुन सखा, समय हुआ कब दीन समय हुआ कब दीन, रात अरु दिवस प्रणेता जो करता है मान, समय उसको सुख देता कह गौतम कविराय, न सूरज करता बकबक चलता अपनी चाल, प्रखर गति लेकर टकटक॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी