कविता

“कुंडलिया”

टकटक की आवाज ले, चलती सूई तीन

मानों कहती सुन सखा, समय हुआ कब दीन

समय हुआ कब दीन, रात अरु दिवस प्रणेता

जो करता है मान, समय उसको सुख देता

कह गौतम कविराय, न सूरज करता बकबक

चलता अपनी चाल, प्रखर गति लेकर टकटक॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ