रिस्टार्ट
मनीषा भले ही कंप्यूटर पर On line ब्लॉग्स लिखती है, लेकिन उसने कंप्यूटर की कोई Formal training नहीं ली हुई है. उसकी एक बात बहुत अच्छी है, वह जहां पर भी अटक जाती है, किसे बच्चे-बड़े, पड़ोसी-रिश्तेदार से पूछकर काम चला लेती है. एक बार एक समस्या के बारे में उसकी बहू ने कहा था, ”ममी जी, आप कंप्यूटर को Restart कर लीजिए.” दूसरी बार बेटे ने किसी और समस्या के बारे में भी ऐसा कहा. तब से उसे लग रहा है, कि जीवन की बहुत-सी समस्याओं, विशेषकर रिश्तों की ताजगी का कारगर हल है Restart.
एक बार उसे लगा, कि सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहते हुए भी वह अपने को अकेला महसूस करती है. उसने यहां भी Restart का सहारा लिया.
एक पड़ोसिन से बहुत दिनों से कोई संवाद नहीं हो पाया था. सुबह-सुबह लिफ्ट में मिलने पर मनीषा ने पहल करके मुस्कुराकर तपाक से Good morning कह दिया, हो गया रिश्ता Restart.
उसने किसी जरूरतमंद को कार में Lift दे दी, किसी को प्यार से Gift दे दी, किसी को Good morning message भेज दिया, किसी को फोन कर उसकी ख़ैर-सलामती पूछ ली, किसी को मेल भेज दी, किसी की तबियत नासाज होने की बात सुनकर उसके लिए मनपसंद चीज बनाकर मिलने चली गई, चाची जी की आलू-मटर की सब्जी पसंद आ गई तो उसकी Recipe ले ली, उसके नारियल के लड्डू मामी जी को पसंद आ गए तो उनको Recipe भेज दी और होते गए रिश्ते Restart.
घर-बाहर उसके ऐसे अनेक प्रयासों से बाकी लोगों का तो पता नहीं, रिश्तों को Restart करके मनीषा बहुत प्रसन्न थी.
किसी और को प्रसन्न करने से पहले खुद को प्रसन्न करना और सुधारना बहुत जरूरी है. अगर हम खुद प्रसन्न हैं, तो दूसरों को प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रयास की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, रस्ते अपने आप निकलते जाएंगे और रिश्तों में ताजगी आती जाएगी.