सुरक्षित स्थान
गुण्डों से बचते-बचाते, इधर से उधर भागते, सुमन अधमरी सी हो गई थी । हिम्मत जबाब देने लगी थी। उसे श्वास लेने में भी परेशानी महसूस हो रही थी। तभी सामने से पुलिस की जीप गश्त लगाती नज़र आई ।
सुमन को काटो तो खून नहीं । गुण्डे और पुलिस… दोनों से बचना नामुमकिन लगा। घबरा कर मदद के लिए जब इधर-उधर नजर दौड़ाई तो सामने भयंकर खाई देख अनायास ही उसके मुख पर फीकी मुस्कान आ गई ।
आबरु की रक्षा के लिए भयंकर खाई भी उसे माँ की गोद सी सुरक्षित प्रतीत हुई ।
अंजु गुप्ता
तो क्या भारत की पुलिस इस हद तक आ गई है कि गुंडे और पुलिस में कोई फर्क ही न रह गिया हो !
Unfortunately, this is the reality. ladies/girls are even raped by police in police station.