लघुकथा

सुरक्षित स्थान

गुण्डों से बचते-बचाते, इधर से उधर भागते, सुमन अधमरी सी हो गई थी । हिम्मत जबाब देने लगी थी। उसे श्वास लेने में भी परेशानी महसूस हो रही थी। तभी सामने से पुलिस की जीप गश्त लगाती नज़र आई ।

सुमन को काटो तो खून नहीं । गुण्डे और पुलिस… दोनों से बचना नामुमकिन लगा। घबरा कर मदद के लिए जब इधर-उधर नजर दौड़ाई तो सामने भयंकर खाई देख अनायास ही उसके मुख पर फीकी मुस्कान आ गई ।

आबरु की रक्षा के लिए भयंकर खाई भी उसे माँ की गोद सी सुरक्षित प्रतीत हुई ।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed

2 thoughts on “सुरक्षित स्थान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    तो क्या भारत की पुलिस इस हद तक आ गई है कि गुंडे और पुलिस में कोई फर्क ही न रह गिया हो !

    • अंजु गुप्ता

      Unfortunately, this is the reality. ladies/girls are even raped by police in police station.

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