मदर्स डे (13 मई) पर व्यंग्य क्षणिकाएं
(1)
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इधर
माँ दिवस पर
बच्चा दिन भर
घर में माँ के नेह को
तरसता रहा…………
उधर दूसरी ओर
समाजसेवी माँ का प्यार
कैमरों की चमक के मध्य
अनाथाश्रम के बच्चों पर
बरसता रहा ……….!!
(2)
बेटे ने ‘दूध का कर्ज़’
चुकाने के नाम पर
हाथ कर दिया खड़ा
क्योंकि वह बोतल का दूध
पी-पीकर हुआ था बड़ा!
(3)
फिगर खराब न हो जाये
इसलिए औलाद को
स्तनपान न कराने का
उसका लम्बा इतिहास है
पर आज न खूबसूरती
और न ही रिश्तों का माधुर्य
उसके पास है!
— प्रो. शरद नारायण खरे