कविता

कविता : गुरैया दिवस [पर्यावरण ]

नैन जिनको देख सदा खुश होते है ,
हर उम्र के लोगो में खुशी क्षण भर दे |
फुरर उड़ खाने को इधर-उधर होते है ,
यही गुरैया की चहचाहट से घर भर दे |
दाना चुगे उड़ जाये या नीड में होते है ,
रूप बसंत कथा में इनके प्रसंग भर दे |
बच्चे प्यार में पकड़ने खूब ही  होते है,
उनके तेज स्वर आलम में उमंग भर दे |
यूरिया खाद और प्रदूषण तो खूब होते है ,
गुरैया की कमी सी मन में दर्द भर दे |
अगर जो वातावरण स्वस्थ होते है ,
पक्षी भी सूनापन में खुशी भर दे |
रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]