गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

2122 1212 22 (112)
प्यार के दीप जो जलाते हैं
लव शिकायत वही भगाते हैं.
लाख हो ऐब अपने बच्चों मे।
माँ कि आंखों सदा समाते है।
किस तरह आसमाँ घुमे आये
जग नया कारवां दिखाते है |
हो गये बच्चे अब बड़े मेरे
फिर बुला नेह से सुनाते है|
आज भी ठहर बस उसी मकान ,
अब रुको तुम अभी बुलाते हैं।
ज़िन्दगी में बहार मानी है,
क्यों तुम असल को छिपाते हैं|
रेखा मोहन १५/५/१८

 

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]