जो खुशी गम के पल आते जाते रहे
जो खुशी गम के पल आते जाते रहे,
कुछ रहे याद कुछ हम भुलाते रहे ।
नींद रातों की छीनी थी कुछ ख्वाबों ने,
खुद जगे ख्वाबों को हम सुलाते रहे ।
खुद तो भटके थे राहों में कब से मगर,
रास्ते हम सभी को दिखाते रहे ।
हां छुपा था बहुत दर्द मन में मगर,
इन लबों से सदा मुस्कुराते रहे ।
दौर गम का भी एक दिन गुजर जाएगा,
दर्द ए मस्ती में भी गुनगुनाते रहे ।
था यकीं कोई भी साथ देगा नहीं,
खामखां लोगों को आजमाते रहे ।
दिल में तन्हाई ने दी थी दस्तक कभी,
हम दीवारों को किस्से सुनाते रहे ।
जानते थे हकीकत सभी की मगर,
आईना सच का सबसे छुपाते रहे ।
— नीतू शर्मा