मां का नाम है अनमोल
मां का नाम है अनमोल, मां का काम है अनमोल
मां की गोद है नूरानी, मां का धाम है अनमोल-
सीख मिली मां से ही मुझको, इंसां बन रहने की
हिम्मत मां से ही पाई है, सच को सच कहने की
मां के मीठे-मीठे बोल, मन में मिश्री देते घोल-मां की गोद है नूरानी—–
मां के प्यार ने हरदम मुझको, गोद में ले हर्षाया
मां की डांट ने भी मुझको है, नूतन पथ दिखलाया
देती सब भेदों को खोल, कहती तनिक न बेटा डोल-मां की गोद है नूरानी—–
मां तेरी सूरत ही मुझको, मेरी पहचान बताती
तेरी पूजा ही मां मेरी, पूजा है बन जाती
तेरे बिन मैं ज़ीरो गोल, तेरे मन में न कोई झोल- मां की गोद है नूरानी—–
maan ki mahma par likhi kavita bahut sundar lagi .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत प्रेरणादायक लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. हमें भी आपकी प्रतिक्रिया बहुत सुंदर, सटीक व सार्थक लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
मां ममता की खान है, उसका रखिए ध्यान,
सबको जग में दीजिए, मां -सेवा का ज्ञान.