ग़ज़ल २
कबतक जीवन पूरा होगा, फिर कब जनम दुबारा होगा
कबतक यूं ही तडपेंगे हम, कब दीदार तुम्हारा होगा।
जाने कितने जनम लिये, लोगों ने कितने नाम दिए
लैला-मजनूं, हीर और रांझा, अब क्या नाम हमारा होगा ।
कब आएगा डोली लेकर, अरमानों की बारात लिये
मेरी सूनी माँग भरेगा, दिलकश यार नजारा होगा।
एक जनम क्या जनम जनम तक, राह तुम्हारी देखेंगे
तू ही है मेरा दरिया साहिल, तू ही यार किनारा होगा।
जिस दिन तेरे दामन से, मेरा दामन बंध जाएगा
सारी बहारें अपनी होंगी, बाहों में चाँद सितारा होगा ।
कट जाए ये वक्त ए ‘जानिब’, हमको दूर निकल जाना है
तेरे बिना जीना मुश्किल है, अब ना यार गुज़ारा होगा।