गति, नवीनता, प्रसन्नता
मैं सुप्रभात की सैर कर रही थी. अन्य अनेक लोग भी सैर कर रहे थे. एक सज्जन की टी शर्ट के पीछे लिखा था-
Speed Innovation Happiness
बात सही लगी. सोचने की Speed सही दिशा में होगी, तो Innovation भी होंगे और फिर सुपरिणाम में Happiness भी मिलेगी. Innovation का ध्यान आते ही, फिल्म ‘3 इडियट्स’ में आमिर खान वाला ‘फुनशुक वांगड़ू’ का किरदार याद आ जाता है, जो काफी हद तक इंजिनियर और इनोवेटर वांगचुक के जीवन पर ही आधारित था. अब भारतीय सेना जम्मू कश्मीर के लद्दाख रीजन में रहने वाले वांगचुक की मदद ले रही है, ताकि बेहद ठंडे रेगिस्तानी इलाके में सीमा के पास बंकर बनाने और उन्हें गर्म रखने का खर्च घटाया जा सके. सेना वांगचुक के एक प्रॉजेक्ट की फंडिंग कर रही है, जिसके तहत प्री-फैब्रिकेटिड सोलर हीटेड टेंट बनाए जाएंगे। इन्हें मिट्टी से बनाया जाएगा, Innovation के चलते वांगचुक ने एक प्रोटोटाइप बनाया है और आर्मी ऐसे कम-से-कम 10000 स्ट्रक्चर्स में दिलचस्पी दिखा रही है उन्होंने कहा कि इसके लिए लद्दाख क्षेत्र में एक प्लांट लगाया जाएगा.
यह कायनात हमेशा हमें विषमताओं के बीच क्रिएटिविटी का संदेश देती है. बेहद ठंडे रेगिस्तानी इलाके में सीमा के पास बंकर बनाने और उन्हें गर्म रखने का खर्च घटाना मजाक का काम नहीं है. अब जहां Speed हो, Innovation हो, वहां Happiness अवश्य आएगी. ठीक उसी तरह जैसे श्रीमद्भवद्गीता के 18वें अध्याय के आखिरी श्लोक में कहा गया है-
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।18.78।।
अर्थात जहां योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण हैं और जहां गाण्डीवधनुषधारी अर्जुन हैं? वहां ही श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है — ऐसा मेरा मत है
जहां Speed है, Innovation है, वहां ही Happiness है.
ज्ञातव्य है कि ये सोलर पैसिव स्ट्रक्चर होंगे. यह कोई नई बात नहीं है. नई बात यह है कि इन्हें एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा और ये प्री-फैब्रिकेटिड होंगे. इन्हें जरूरत की जगह पर तेजी से असेंबल किया जा सकेगा. इससे आर्मी की शेल्टर से जुड़ी समस्या का हल निकलेगा. इनकी हीटिंग में कोई खर्च नहीं होगा. माइनस 20 डिग्री तापमान में भी बिना किसी हीट सोर्स के इनके भीतर तापमान 20 डिग्री पर चला जाएगा.
जम्मू कश्मीर सरकार के स्टेट स्किल डिपार्टमेंट मिशन के एक समारोह के दौरान वांगचुक ने बताया कि ये सोलर पैसिव स्ट्रक्चर होंगे। यह कोई नई बात नहीं है। नई बात यह है कि इन्हें एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा और ये प्री-फैब्रिकेटिड होंगे। इन्हें जरूरत की जगह पर तेजी से असेंबल किया जा सकेगा। इससे आर्मी की शेल्टर से जुड़ी समस्या का हल निकलेगा।
इनकी हीटिंग में कोई खर्च नहीं होगा। माइनस 20 डिग्री तापमान में भी बिना किसी हीट सोर्स के इनके भीतर तापमान 20 डिग्री पर चला जाएगा। वांगचुक ने कहा कि ठंडी जगहों पर बिल्डिंग कॉस्ट 15 साल की हीटिंग के बराबर होती है। उन्होंने कहा कि सेना जवानों को गर्म रखने के लिए कितना तेल जलाती है और इससे कितना प्रदूषण होता है। यह स्थिति बदलने जा रही है।