लेख : जीवन यात्रा
जीवन एक यात्रा है, सतत जारी रहने वाली यात्रा। अब यात्रा है तो कठिनाइयाँ तो आएँगी ही। कहीं समतल, सपाट सड़क मिलेगी तो कहीं ऊबड़-खाबड़ रास्ते। कहीं शीघ्रता एवं सरलता से उतरने के लिए ढलान मिलेगी तो साँस फुला देने वाली कठिन चढ़ाई। इन दोनों के समुचित मिश्रण से ही तो यात्रा का सौंदर्य है। परीक्षणों से ये सिद्ध हुआ है कि यदि रास्ता बिल्कुल सीधा हो तो वाहन चालक लापरवाह हो जाता है, उसे नींद आने लगती है या वो खुली आँखों से ही दिवास्वप्न देखने लगता है। इसी प्रकार यदि संसार में सब सहज और सरल हो तो जीवन का आनंद कहीं खो जाएगा। लगातार सुख की अवस्था भी एक प्रकार की ऊब पैदा करती है। सुख का स्वाद का पता उसे ही चल सकता है जिसने दुख को चखा हो। जिसने कभी दुख का स्वाद नहीं लिया वो निस्संदेह कभी भी सुख अनुभव नहीं कर सकता। असफलता से, दुख से घबराइए मत, इनसे बचने का प्रयास मत करिए। ये तो प्रकृति द्वारा भेजे गए शिक्षक हैं जो आपको जीवन का पाठ पढ़ाने आए हैं। ये ही कल आने मिलने वाली सफलता एवं आगे आने वाले सुख को पचाने के लिए आपको तैयार करेंगे। इनसे तो सीखना है, इनसे तो बोध लेना है और यात्रा पर अग्रसर हो जाना है। जो वहीं रूक गया या पीछे लौट गया वो कभी भी सुख की प्राप्ति नहीं कर पाएगा। इसके विपरीत जो असफलताओं से हतोत्साहित नहीं हुआ एवं जो दुखों से विचलित नहीं हुआ उसे सफलता मिलनी अवश्यंभावी है। न ही दुख हमारा लक्ष्य हैं न ही सुख, न कोई सफलता स्थायी है न असफलता। हम सब अनंत पथ के पथिक हैं एवं ये सब हमारी यात्रा के छोटे-छोटे पड़ाव हैं। यात्रा के पड़ाव स्थायी रूप से रूक जाने के लिए नहीं होते। वो तो बस कुछ देर रूक कर यात्रा की थकान उतार कर फिर से उर्जावान एवं स्फूर्तिवान होने के लिए होते हैं। इसलिए न असफलता से हतोत्साहित होइए न सफलता से उत्साहित। बस जीवन की हर स्थिति से कुछ न कुछ सीख लेकर अपनी यात्रा पर आगे बढ़ते रहिए।
— भरत मल्होत्रा