गीतिका
माँ
2122 1212 22
हर मुसीबत समय खड़ी है माँ
आह सुन गम लगा बढ़ी है माँ|
चेहरा झलक नूर छाया सा
चाँद सूरज सी रौशनी है माँ |
तू भवानी सदा निभानी है
शष्ट मिली साथ बेबसी है माँ|
जब बुलाये तभी लुभाये सी
काम सारे बना खड़ी है माँ
तब खड़ी तरु बनी लिये छाया
तुम निहायत लगी भली है माँ|
रेखा मोहन १३/५/१८