बाल -गीत
जो चादर देख पाँव पसारते,
जरूरतो में कभी न हारते .
न मुश्किल में हाथ पसारते ,
न रिश्तों में कभी धन तलाशते.
बिना सोचे जो करते खर्चा ,
उनका बिलो का घना पर्चा .
मेहनत की कमाई की कद्र करो ,
यू ही न दिखावे लिए पैसे आगे करो .
माना मेहनत आगे लक्ष्मी खड़ी ,
बिना सोच खर्चे में हमेशा मुश्किल बनी .
जितनी है हैसियत रेखा उतनी उड़ान ,
जीने में बनी रहे खाते-पीते की पहचान
— रेखा मोहन