बाल कविता

बाल -गीत

जो चादर देख पाँव पसारते,
जरूरतो में कभी न हारते .
न मुश्किल में हाथ पसारते ,
न रिश्तों में कभी धन तलाशते.
बिना सोचे जो करते खर्चा ,
उनका बिलो का घना पर्चा .
मेहनत की कमाई की कद्र करो ,
यू ही न दिखावे लिए पैसे आगे करो .
माना मेहनत आगे लक्ष्मी खड़ी ,
बिना सोच खर्चे में हमेशा मुश्किल बनी .
जितनी है हैसियत रेखा उतनी उड़ान ,
जीने में बनी रहे खाते-पीते की पहचान

रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]