गीतिका/ग़ज़ल

तुम्हारे प्रेम की शुभकामनाओं की ज़रूरत है

तुम्हारे प्रेम की शुभकामनाओं की ज़रूरत है
उठाओं हाथ तुम मुझको दुआओं की ज़रूरत है

चरागों को बुझाने पर तुले प्रहरी उजालों के
चरागों को बचाने को हवाओं की ज़रूरत है

धरम ईमान सब कुछ बेच डाला रहनुमाओं ने
वतन को असलियत में रहनुमाओं की ज़रूरत है

नशे में जीत के गहरा गयी है नींद सत्ता की
जगा दे जो उन्हें ऐसी सदाओं की ज़रूरत है

दगा नफ़रत अदावत के चले इस दौर में हमको
मुहब्बत की समर्पण की वफ़ाओं की ज़रूरत है

बनाती थीं कभी जो आदमी को आदमी जैसा
यक़ीनन अब हमें उन भावनाओं की ज़रूरत है

ख़िजा का दौर लम्बा हो गया बेचैन है माली
खिलें कलियाँ चमन को अब फ़जाओं की ज़रूरत है

सतीश बंसल
०६.०५.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.