तुम्हारे प्रेम की शुभकामनाओं की ज़रूरत है
तुम्हारे प्रेम की शुभकामनाओं की ज़रूरत है
उठाओं हाथ तुम मुझको दुआओं की ज़रूरत है
चरागों को बुझाने पर तुले प्रहरी उजालों के
चरागों को बचाने को हवाओं की ज़रूरत है
धरम ईमान सब कुछ बेच डाला रहनुमाओं ने
वतन को असलियत में रहनुमाओं की ज़रूरत है
नशे में जीत के गहरा गयी है नींद सत्ता की
जगा दे जो उन्हें ऐसी सदाओं की ज़रूरत है
दगा नफ़रत अदावत के चले इस दौर में हमको
मुहब्बत की समर्पण की वफ़ाओं की ज़रूरत है
बनाती थीं कभी जो आदमी को आदमी जैसा
यक़ीनन अब हमें उन भावनाओं की ज़रूरत है
ख़िजा का दौर लम्बा हो गया बेचैन है माली
खिलें कलियाँ चमन को अब फ़जाओं की ज़रूरत है
सतीश बंसल
०६.०५.२०१८