सामाजिक

प्रेम

प्रेम प्रतीक है
संसार में ईश्वरीय सत्ता का

प्रेम आधार है
इस समग्र सृष्टि का

प्रेम विश्वास है
मानव में छुपी अच्छाई का

प्रेम मार्ग है
मनुष्य के देव होने का

प्रेम फल है
अनंत जन्मों की प्रार्थना का

प्रेम साक्षी है
ह्रदय की भावनाओं का

प्रेम जप है
दिन-रात प्रियतम के नाम का

प्रेम शोर है
प्रेमियों के मुखर मौन का

प्रेम तप है
विरह की अग्नि में सुलगने का

प्रेम संबंध है,
बिना अपेक्षा के समर्पण का

प्रेम संबल है
कठिनतम परिस्थितियों में जीने का

प्रेम नाम है,
अनंत जन्मों की प्रतीक्षा का

सुप्रभात मित्रो, आपका दिन प्रेममय हो।

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]