कविता

हर पल को जी लूं !

हर पल को जी लूं !

कहता है मन कभी  कभी 
तोड़ के बंधन ये अजनबी
आज हर पल को जी लूं
कल्पनाओं का तिलिस्म
जाने क्या कशिश है इसमें
खींचता है जो अपनी ओर
आज ख्वाहिशें न बहेंगी
नैनों की ओट से कहीं
क्योंकि सोचा है आज
खुद को समझने का
बरसों से चाहा था जीना
वो हर पल जी लूं आज
खुले गगन में ,मैं और
मेरी परवाज !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |