ग़ज़ल
जब भी तुम चाहोगी प्रेयसि, तब ही मिलन हमारा होगा
मिल बैठेंगे हम-तुम दोनों, दिलकश बहुत नजारा होगा
दूर निकल जायें दुनिया से, केवल हम-तुम साथ रहेंगे
जीवन में खुशबू महकेगी, जब तक साथ तुम्हारा होगा
दिल के सब जज्बात छिपाये, अधर काँपते रह जायेंगे
आँखों ही आँखों में प्यारी, मधु संवाद हमारा होगा
आयेगा तब चाँद गगन में, झिलमिल झिलमिल होंगे तारे
नहीं मिलन में पता चलेगा, कैसे समय गुजारा होगा
बँध जायेंगे दृढ़ बंधन में, तन-मन मिलकर एक रहेंगे
चाहे जितने तूफां आयें, इक ‘अंजान’ सहारा होगा
— ‘अंजान’
गजल अच्छी लगी। हार्दिक धन्यवाद्। नमस्ते। सादर।