बलिदान
पेरमब्रा तालुक अस्पताल में नर्स के तौर पर कार्यरत 31 साल की लिनी की निपाह वायरल की चपेट में आने से मौत हो गई, लेकिन अपने पति को उसके लिखे अंतिम पत्र ने उसे अमर बलिदानियों की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया है.
निपाह वायरस इंसान तथा जानवरों में फैलने वाला नया संक्रमण है. इस बार इसका कारण संक्रमित चमगादड़ के खाए फलों का सेवन करना पाया गया. निपाह के मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों के स्टाफ और मरीज से संपर्क रखने वाले लोगों को अलग कर दिया गया है. लिनी को भी आशंका थी कि वह वायरस से संक्रमित किसी मरीज की सेवा करने के दौरान वह इस जानलेवा वायरस के चपेट में आ गई है. पत्नी के बीमार होने की बात पता चलने पर दो दिन पहले ही पति सजीश खाड़ी देश से वापस लौटे थे. लिनी ने मौत से पहले पति को एक भावुक खत लिखा. लिनी के दो बच्चे 5 साल का सिद्धार्थ और 2 साल का रिथुल हैं. इस पत्र द्वारा लिनी ने मरते दम तक मासूम बच्चों समेत अपने पूरे परिवार को खुद से दूर रखा ताकि वह जिनसे प्यार करती हैं वे भी इस डेडली वायरस के संपर्क में न आ पाएं. वह हमेशा दूसरों की मदद करती थी और अब उसकी मौत एक बलिदान बन गई है.
निपाह वायरस इंसान तथा जानवरों में फैलने वाला नया संक्रमण है। 1998 के दौरान मलेशिया के कामपुंग सुनगेई निपाह में सबसे पहले इस वायरस की पहचान हुई। उस समय सुअरों को इसका वाहक बताया गया था। हालांकि बाद में फैले इस वायरस का कोई वाहक नहीं पाया गया। बांग्लादेश में 2004 में यह वायरस फैला। इस बार इसका कारण संक्रमित चमगादड़ के खाए फलों का सेवन करना पाया गया। भारत में सबसे पहले यह वायरस जनवरी 2001 में सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) में फैला था जबकि अप्रैल 2007 में पश्चिम बंगाल के नादिया तक पहुंच गया था।
ऐसे फैलता है यह वायरस
प्राकृतिक वाहक (चमगादड़)- संक्रमित चमगादड़ के खाए फलों का सेवन करने वाला व्यक्ति- एनआईवी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर
वायरस के लक्षण
वायरस से प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आती है। तेज बुखार और दिमाग में जलन, आलस आना, भूल जाना, कनफ्यूजन रहना जैसे लक्षण महसूस होते हैं। सही समय पर इलाज नहीं होने की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है। संक्रमित व्यक्ति को आईसीयू में रखकर इलाज किया जाता है।