बाल कविता – चिड़ियों ने कहा कान में
यह कविता 2004 में लिखा था- आज जब इसे पढ़ता हूँ तो बहुत कमियां दिखाती है, लगता है जो कहना चाहता था वो कह नहीं पाय कभी मन करता है की इसमें सुधर करूँ पर फिर विचार आता है इसे ऐसे ही रहने दूं इसे देखकर बीते दिन बखूबी याद आते रहेंगे
चिड़ियों ने चहचहा के,
कुछ ऐसे कहा कान में,
तिमिर को खेदता हुवा,
कोई आ रहा संसार में,
जिसकी उज्ज्वल प्रभा को देखने,
की मन में इच्छा छाई,
उस उज्ज्वल प्रभा को देखकर,
टूटेगी किसी की तन्हाई,
गृहणियाँ अब जाग गयी,
करना शुरू किया नित्यकर्म,
पशुओं को हौज लगाकर,
कोई बैठा ग्वाल कुवंर,
तुम जैसे विद्यार्थी जगकर,
कर रहे विद्या ग्रहण,
सूर्य लालिमा आने वाली,
लेकर एक उजला दिन,
तू भी जग जा ओ सलोने,
अब तो होने वाली सुबह।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045