समय का पहिया
समय का पहिया टिक टिक कर के धीरे धीरे चलता है ।
जीवन पथ है आग का दरिया और अंगारो पर चलना है ।।
बैठ नही तू थक कर,देख उसे जो एक पैर पर चलता है ।
शरीर से अधूरा है वो पर अपनी मेहनत से चलता है ।।
जब भी लगे हार का अंधेरा आँखो पर छाने लगा है ।
तो देख उसे जो बिन आँखो के समय से आँख मिलाकर चलता है ।।
तेरे कामो के तरीकों पर जब लोग शौर मचाने लगे ।
तो देख उसे जो नही सुन सकता पर अपने मन से चलता है ।।
मत फस तू मछली सा अगर समय का जाल फैला है ।
तू अपनी धुन से चले चल,चलने दे अगर समय का पहिया चलता है ।।