राजनीति

त्रिशंकु सदन – साझा सरकार

देश की राजनीति के बारे में अपने विचार रख रहा हूँ.

देश एक विभिन्नता में एकता लिए हुए देश है , किसी भी सरकारी या निजी संसथान में देखिये, अलग अलग धर्म , जाति , और भाषा बोलने वाले सब मिल कर काम करते हैं, आप किसी भी सफल फिल्म को लीजिये, अलग अलग धर्म , ज़ात और प्रान्त के कलाकारों ने मिल के काम किया है, मैं स्वयं जिस टेक्सटाइल मिल में काम करता था मेरे साथ हिन्दू , मुस्लिम , सिख , ईसाई, और सिक्किम से लेकर केरल तक और मेघालय से लेकर गुजरात तक के कर्मचारी काम करते थे और हमारा उत्पादन और गुणवत्ता सर्वश्रेष्ठ स्तर की थी, लेकिन जब भी राजनीति की बात आती है, सबसे पहले वोट बैंक का ध्यान करके ,और योग्यता को दरकिनार करके उम्मीदवार का चुनाव किया जाता है, फलस्वरूप संसद और विधान सभा में केवल पहले पक्ष और विपक्ष नज़र आता है और देश बाद में , यहाँ तक की सभा की कार्यवाही ही नहीं चलने दी जाती और और सारा पैसा और समय हंगामे की भेंट चढ़ जाता है, जब एकमत से एक ही पार्टी की बहुमत की सरकार बनना मुश्किल हो जाता है और जोड़ तोड़ की राजनीति खूब रंग लाती है, और समस्या बढ़ती ही जाती है, मेरा एक विचार है जो इस समस्या का अंत करने में सहायक हो सकता है, क्या हम अन्य संस्थानों की तरह ही संसद और विधान सभा में ऐसी एकरूपता नहीं दिखा सकते, पार्टी कोई भी हो केवल देश या आम जनता के हित की बात करें और निजी स्वार्थ को भूल जाएँ, क्यों​ ​न यहाँ भी अनेकता में एकता का उदाहरण दिया जाये. अगर हर पार्टी का उद्देश्य देश और जनहित में काम करना है तो मिल ज़ुल कर भी कर सकते हैं, अर्थात टीम वर्क.
जब जब लोक सभा या विधान सभा में चुनाव के बाद त्रिशंकु स्तिथि उत्पन्न हो जाती है तो मेरे विचार से वहां एक नए फॉर्मूले के अनुसार सरकार बननी चाहिए —

जिस दल के पास अधिकतम सीट हो , प्रधान मंत्री /मुख्य मंत्री उसी दल का होना चाहिए,

  1. हर दल के चुने हुए सदस्यों के १०% सदस्यों को मंत्री पद दिया जाये,

2. विभाग का चयन प्रधान मंत्री/मुख्य मंत्री का अधिकार क्षेत्र रहे ,

3. मंत्रियों की कुल संख्या कुल सदस्यों के १०% से अधिक नहीं होनी चाहिए,

4. मंत्री पद पाने के लिए उस दल की कम से कम १०% सीट होनी चाहिए,

5. हमारा भारत विभिन्ता में एकता का देश है, इस से हर दल को अपने कार्यक्षेत्र में काम करके दिखiने का मौका मिलेगा . सदन की कार्यवाही भी सुचारु रूप से चलेगी, ऐसा मेरा मानना है .

मान लीजिये रेल मंत्री किसी अन्य पार्टी का है और वित्त मंत्री किसी और पार्टी का. दोनों स्पर्धा की भावना रखते हुए अपने अपने विभाग में कार्य करेंगें, मान लीजिये , रेल में सुविधा , समय पर गाड़ी का चलना ,और साफ सफाई आदि से जनता प्रभवित है तो इसका असर अगले चुनाव में जिस पार्टी का रेल मंत्री है , उस पार्टी पर भी पड़ेगा. ऐसा ही हर विभाग में होगा,

संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का काम भी नहीं होगा.

आप भी अपने सुझाव दे सकते है,

धन्यवाद

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845