मौन…..
क्यूं है…?
लेखनी मौन क्यूं है?
कल्पनाएं गौण क्यूं हैं?
बढ़ रही हैं मुश्किलें
फिजां खामोश क्यूं है
आ रही हैं खबरें सरहदों से
बढ़ रहे हैं हौसले दुश्मनों के
बिछ रही हैं लाशें सैनिकों के
आ रहे हैं शहीद लिपटे तिरंगे में
हर ओर खामोशी है
हर इंसां गमजदा सा है
हमारी संगीनें मौन क्यूं हैं
लेखनी आज मौन क्यूं है…
सरहदों पर हो रहे वीर शहीद क्यूं हैं
सुनीं हो रही कलाई क्यूं है
धुल रही मांग का सिंदुर क्यूं है
मासूमों के सर से
उठ रहा पिता का साया क्यूं है
राष्ट्र खो रहा सपूत क्यूं है
चित आकुल मन व्याकुल सा क्यूं है
हम हाथ पर हाथ धरे
अब तक बैठे क्यूं हैं
लेखनी मौन क्यूं है?
कल्पनाएं हो रही गौण क्यूं है?