लघुकथा

विरासत

विधायक प्रमिला सिंह अपने क्षेत्र के दौरे पर आई थीं। मंच पर से अपनी जनता को सम्बोधित  कर वह बोलीं।
“आज बहुत दिनों के बाद अपने घर आई हूँ। पर इस बार अकेली नहीं आई हूँ। आपके बेटे और बहू को भी साथ लाई हूँ।”
मंच पर बैठे उनके बेटे ने खड़े होकर सबका अभिवादन किया। लेकिन बहू वैसे ही बैठी रही। प्रमिला सिंह ने उसकी तरफ देखा तो वह चेहरे पर फीकी सी मुस्कान लेकर खड़ी हो गई।
जब तीनों गेस्टहाउस पहुँचे तो उनके बेटे ने अपने कुर्ते को सूंघकर मुंह बनाया। ना चाहते हुए भी कितनों को गले लगाना पड़ा था।
प्रमिला सिंह ने समझाते हुए कहा।
“राजनीति में जानता को खुश रखना पड़ता है। यही चीज़ें वोट दिलाती हैं। इस बार मुझे पूरी उम्मीद है कि पार्टी तुम्हें भी टिकट देगी। अभी से इन सब की आदत डाल लो।”
उनकी बहू भी आकर बेटे से दूरी बना कर बैठ गई।
“और हाँ चुनाव होने तक अपने बीच की दूरी पर भी पर्दा डाल दो।”

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है