पेड़ की पुकार
मैं पेड़ हूँ , मैं पेड़ हूँ -2
मुझे सब मिलकर यू न काटो
मुझमें भी जीवन पलता है
सब मिलकर मुझको न बाटो
मैं पेड़ हूँ ———
छाया धरा पर करता हूँ
लोगों का पेट मैं भरता हूँ
मेरे अपने फूल और पत्ते भी
भगवन पर अर्पित करता हूँ
मैं पेड़ हूँ ————
कितने प्यार से मुझको बोया है
तन मन से मुझे संजोया है -2
न काटो मुझको तुम मिलकर
विनती मैं तुमसे करता हूँ
मैं पेड़ हूँ ————
जब ठूँठ मैं हो जाता हूँ
तब भी सब के काम में आता हूँ
घर द्वार बनते हैं मुझसे -2
सबका आशियाना सजाता हूँ
मैं सबका आशियाना सजाता हूँ
मैं पेड़ हूँ ————-
डॉ .माधवी कुलश्रेष्ठ
Waah
Khoobsurat Rachna jii