कविता

पेड़ की पुकार

मैं पेड़ हूँ  , मैं पेड़ हूँ -2
मुझे सब मिलकर यू न काटो
मुझमें भी जीवन पलता है
  सब मिलकर मुझको न बाटो
  मैं पेड़ हूँ ———
    छाया धरा पर करता हूँ
      लोगों का पेट मैं भरता हूँ
    मेरे अपने फूल और पत्ते भी
    भगवन पर अर्पित करता हूँ
मैं पेड़ हूँ ————
  कितने प्यार से मुझको बोया है
  तन  मन से मुझे संजोया है -2
 न काटो मुझको तुम मिलकर
  विनती मैं तुमसे करता हूँ
मैं पेड़ हूँ ————
   जब ठूँठ मैं हो जाता हूँ
 तब भी सब के काम में आता हूँ
 घर द्वार बनते हैं मुझसे -2
सबका आशियाना सजाता हूँ
  मैं सबका आशियाना  सजाता हूँ
मैं पेड़ हूँ ————-
             डॉ .माधवी कुलश्रेष्ठ

डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

पिता का नाम स्व . श्री हरेंद्र पाल कुलश्रेष्ठ पति का नाम श्री अरविन्द कुलश्रेष्ठ वर्तमान पता सी -14 न्यू आगरा फोन न . 9412426559 8218644036 ;8193909436 शिक्षा . एम॰ ए एम .एड पी .एच डी . (हिन्दी ..मनोविज्ञान इतिहास और संगीत गायन ) व्यवसाय - प्रधानाचार्य काव्य कलश सम्मान , भाव-भूषण सम्मान , और भी कई शाखाओं में उच्च पदों पर रहकर समाज सेवा कर रही हूँ लेखन कार्य भी करती हूँ । साझा संकलन भी छप चुके हैो

One thought on “पेड़ की पुकार

  • विजयता सूरी

    Waah
    Khoobsurat Rachna jii

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