दिल में यूँ तूफ़ान उठाना ठीक नही है…
दिल में यूँ तूफ़ान उठाना ठीक नही है
मुस्काना फिर आँख चुराना ठीक नही है
बढ़ने लगती है तुमसे मिलने की चाहत
यूँ सपनों में आना जाना ठीक नही है
हर्ज नही है कोई सत्ता की चाहत में
लेकिन लोगों को लड़वाना ठीक नही है
अपने बौने कद को ऊँचा दिखलाने को
अजदादों का मान घटाना ठीक नही है
धर्म सभी हैं मानवता के हित के साधक
धर्मों को व्यापार बनाना ठीक नही है
सबने खून पसीने से सींचे गुलशन में
नफ़रत वाले ख़ार उगाना ठीक नही है
नेताओ यूँ ज़हरीले भाषण दे दे कर
सम्बंधों में आग लगाना ठीक नही है
सतीश बंसल
०२.०६.२०१८