हम किसी से कम नहीं
”बांका डीएम कुंदन कुमार ने महिलाओं के प्रयास की प्रशंसा की”- यह समाचार पढ़ते ही रेखा के जेहन में कुछ दिन पहले की घटनाएं हलचल मचा रही थीं.
”हमारा गांव ब्लॉक मुख्यालय से मात्र ढाई किलोमीटर है, हम लोग वहां तक भी नहीं पहुंच सकते थे. गांव में कई गर्भवती महिलाओं ने इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि वे समय से अस्पताल नहीं पहुंच सकीं. इन घटनाओं ने हमें हिलाकर रख दिया.”
”नीमा, जोरारपुर और दुर्गापुर गांव की हम 130 महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया. हम लोगों ने फैसला लिया कि बारिश का मौसम आने से पहले हम लोग अपने गांव के लिए खुद सड़क बनाएंगीं. हम सभी महिलाएं सुबह सूरज उगने के बाद सड़क बनाने के काम में लग जाती थीं और सूरज ढलने के बाद ही घर लौटती थीं.”
”हाथों में टोकरी, फावड़ा लेकर बिना कड़ी धूप की परवाह किए हम सभी महिलाएं लगातार मेहनत करती रहीं. तीन दिनों के अंदर हमने दो किलोमीटर लंबी सड़क बना ली.”
”जी हां, हम किसी से कम नहीं. अब डीएम कुंदन कुमार ने महिलाओं के इस काबिलेतारीफ प्रयास का संज्ञान लिया है और प्रशासन उस सड़क को कंक्रीट की बनाएगा.”
गांव की महिलाओं और बच्चों को सड़क न होने से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही थी इसलिए उन्होंने खुद सड़क बनाने की ठानी. एक बार ठान लेने के बाद साहस खुद-ब-खुद आ जाता है. महिलाओं के इस काबिलेतारीफ प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है. सच है ठान ही लिया, तो हम किसी से कम नहीं.