“सम्मोहन”
सरंचना पुस्तक पढ़ने में मैं व्यस्त थी कि मोबाइल टुनटुनाया
“हेल्लो”
“क्या आप पटना से विभा जी बोल रही हैं…?”
“जी हाँ! आप कौन और कहाँ से बोल रही हैं… ? क्यों कि यह नम्बर अनजाना है मेरे लिए…!”
“मैं हाजीपुर से मीता बोल रही हूँ।”
“जी बोलिये किस बात के लिए फोन की हैं… मुझे कैसे जानती हैं यानी मेरा नम्बर आपके पास कैसे आया ?”
“एक विज्ञापन के बारे में मेरी साधना आंटी से मुझे पता चला, उसी में आपका नम्बर दिया हुआ था… फेक तो नहीं यही कन्फर्म करने के लिए मैं कॉल कर बैठी!” बेहद प्यारी मधुर आवाज और खनकती हँसी के साथ मीता बात कर रही थी…
“मुझसे बात हो रही है तो फेक नहीं , यह तो कन्फर्म हो गया… अब आप अपने बारे में बताइये… मुझे कॉल करने जा रही हैं कय्या आप अपने अभिभावक को बताई हैं… आपकी उम्र क्या है?”
“मेरी उम्र 22 साल है ! फेक का कन्फर्म करना था अतः मम्मी पापा को नहीं बता पाई हूँ…।”
“आपकी उम्र 22 साल है तो
-आपकी पढ़ाई पूरी नहीं हुई होगी
-पढ़ाई पूरी नहीं हुई होगी तो शादी भी नहीं हुई होगी
-शादी नहीं हुई होगी तो अपने माँ बाप की बड़ी जिम्मेदारी हैं आप…”
“जी!जी! आप बिलकुल सही समझ रही हैं!”
– विज्ञापन देखी होंगी तो उसमें 30-40 उम्र सीमा तय है ,उसपर आपकी नजर जरूर पड़ी होगी… उस स्थिति में आपका फोन करना, आपको ही शक के दायरे में ला खड़ा किया… एक औरत होने के नाते हर लड़की के बारे में सोचना मैं अपना दायित्व बना ली हूँ… कोई बच्ची मकड़जाल में फँस ना जाये… इसलिए आपको भी कहती हूँ पहले पढ़ाई पूरी कीजिये… माँ बाप जो तय करें उसमें उनका सहयोग करें… “
“आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आप मुझे सही मार्गदर्शन दीं… आपकी बात सदा याद रखूँगी..”
“समाज की जो स्थिति हैं आपको दिख रही होगी… ऐसे में बिना अभिभावक की अनुमति लिए , किसी अनजाने नम्बर पर फोन करना… गम्भीरता से सोचने का समय निकालियेगा ,अगर सच में मैं फेक होती तो…?”