गज़ल
गम छुपा कर सदा मुस्कुराते रहे |
प्रीत की रीत हँस कर निभाते रहे |
ना उमीदी का दामन न थामा कभी –
राह काँटो में अपनी बनाते रहे |
आज़माना गलत बात है प्यार में –
प्यार को प्यार पर बस लुटाते रहे |
रुक न जाए कहीं ज़िन्दगी का सफर –
हर कदम सोंच कर हम बढ़ाते रहे |
ये जमाना लगाता रहा ठोकरे –
होंसलों से मगर बसर उठाते रहे |
था यकीं हार जाएंगी हर मुश्किलें –
इस लिये हम सदा मुस्कुराते रहे |
हर तरफ़ रौशनी लहर उठ सके –
शम्अ इक रात भर हम जलाते रहे |
— मंजूषा श्रीवास्तव