गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

गम छुपा कर सदा मुस्कुराते रहे |
प्रीत की रीत हँस कर निभाते रहे |

ना उमीदी का दामन न थामा कभी –
राह काँटो में अपनी बनाते रहे |

आज़माना गलत बात है प्यार में –
प्यार को प्यार पर बस लुटाते रहे |

रुक न जाए कहीं ज़िन्दगी का सफर –
हर कदम सोंच कर हम बढ़ाते रहे |

ये जमाना लगाता रहा ठोकरे –
होंसलों से मगर बसर उठाते रहे |

था यकीं हार जाएंगी हर मुश्किलें –
इस लिये हम सदा मुस्कुराते रहे |

हर तरफ़ रौशनी लहर उठ सके –
शम्अ इक रात भर हम जलाते रहे |

मंजूषा श्रीवास्तव

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016