कविता – बचपन के खेल
बड़ा सजीला रंग रंगीलाखेल खिलौनो का संसार |बचपन मे हम खेला करते ,गुड्डे गुड़िया का घर बार | कभी बनाते
Read Moreबड़ा सजीला रंग रंगीलाखेल खिलौनो का संसार |बचपन मे हम खेला करते ,गुड्डे गुड़िया का घर बार | कभी बनाते
Read Moreप्यार बस तुमको किया तुमसा दिखा कोई न था |अक्स दिल में दिल तेरा बाकी मेरा कोई न था |
Read Moreधरा को नेह जल बौछार से नहला गया सावन |नयन में स्वप्न भर सांसो को फिर महका गया सावन |
Read Moreबात सालों पुरानी है ,अपने मित्रों के पास मोबाइल देखती तो तो इच्छा करती की काश मेरे पास भी एक
Read Moreमिस्टर शर्मा और कमल कांत बचपन के साथी तो थे ही आज भी सुख दुख के साथी हैं | दोनो
Read Moreशब्द भाव ,अनुभाव ,विभाव ,संचारी भाव हैंशत्रुता का माध्यम और प्रेम का आगार हैंशब्द यदि मौन हो जाए तो मृत्युशब्द
Read More