सामाजिक

विचार

विचार उस दर्पण की भाँति हैं जो कभी असत्य नहीं बोलता। किसी भी व्यक्ति को उसके विचारों से ही जाना जा सकता है। आप ऊपर से कितने भी अच्छे वस्त्र ओढ़ लें परंतु आप भीतर से कैसे हैं ये आपके विचारों से ही प्रतिबिंबित होता है। मन में विचार उठना एक नैसर्गिक क्रिया है जिसके लिए किसी प्रयास की आवश्यकता नहीं होती। हाँ, विचारों को उत्पन्न होने से रोकने के लिए अवश्य कठोर परिश्रम की आवश्यकता है। भाषा का अविष्कार ही संभवतः हमारे मन में उठने वाले विचारों को बाहर निकालने के लिए हुआ होगा क्योंकि विचारों का यदि उचित समय पर उचित मात्रा में निष्कासन नहीं हुआ तो इनमें इतनी क्षमता है कि मनुष्य को पागल कर दें। मन एवं मस्तिष्क में विचारों के जो बवंडर उठते हैं उन्हें शांत करने के लिए दो ही मार्ग हैं, प्रथम मार्ग है ध्यान का, तप का मार्ग जो कि विचारों के शमन का मार्ग है। ये अत्यंत दुष्कर मार्ग है जिस पर चलना परमात्मा एवं गुरू की कृपा से किसी विरले के लिए ही संभव होता है। दूसरा मार्ग है वार्तालाप का मार्ग जो विचारों के वमन का मार्ग है। ये सरल एवं सहज मार्ग है जो हमें जन्म से ही उपलब्ध है। विचारों के आदान-प्रदान में कभी भी संकोच न करें क्योंकि ये ऐसा व्यापार है जिसमें लेने एवं देने वाले दोनों ही लाभ में रहते हैं। यदि आप किसी के विचारों से सहमत नहीं तो भी उसे सुनने में कोई हानि नहीं। यदि वो विचार आपके स्तर के नहीं भी हैं तो भी वो बोलने वाले के स्तर का परिचय तो दे ही रहे हैं। जो विचार अच्छे हों, सकारात्मक हों उन्हें अपने मन में सहेज लीजिए एवं जो विचार नकारात्मक हों उन्हें छोड़ दीजिए, एक कान से सुनिए, दूसरे कान से निकाल दीजिए। परंतु प्रायः हम नकारात्मक विचारों को ही सहेजने लग जाते हैं। धीरे-धीरे हमारा मन केवल नकारात्मक विचारों की एक गठरी बन कर रह जाता है और तब ही वास्तविक कठिनाई शुरू होती है। विचारों में इतनी शक्ति है कि वो आपको प्रतिष्ठा के हिमालय पर भी आसीन कर सकते हैं एवं अपमान के रसातल में भी धकेल सकते हैं। इसलिए विचारों के चयन में अत्यंत सतर्कता रखें क्योंकि अंततः आप अपने विचारों का प्रतिबिंब मात्र ही बनकर रह जाते हैं।

मंगलमय दिवस की शुभकामनाओं सहित आपका मित्र :- भरत मल्होत्रा।

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]