गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

दिखाई दिए यूँ कि बेख़ुद किया

🌀वज़्न–122 122 122 12

बढाओ न तुम इतनी भी दूरियाँ

कि आने लगे  याद में  सिसकियाँ.

 

रहो दूर चाहत लिखे चिट्ठियाँ

हुई जो कमी माफ गलतियाँ.

उदासी भरी मोसमी आंधियाँ

शहर में न पाई कही बिजलियाँ.

 

लगा खेल में अब बढ़ी पारियाँ

सुने अब कही बज रही तालियाँ.

 

लगा अब दिखी पेड़ पर तख्तियाँ

कही मोत कि तो नहीं धमकियां.

 

हवा चल रही खोल दो खिड़कियां।
बढ़े फासला जो बने दूरियाँ।

रेखा मोहन १३/६/१८

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]