गीत-***काव्य प्रबंध लिखूँ***
मन करता है तेरे अधरों पर मैं छंद लिखूँ.
ढाई आखर में होता है क्या आनंद लिखूँ.
रूप-रंग पर लिख डालूँ मैं
कोई आज रुबाई.
नैनों पर दोहे लिख डालूँ
गालों पर चौपाई.
जो साँसों में घुला, ग़ज़ल में वो मकरंद लिखूँ.
ढाई आखर में होता है क्या आनंद लिखूँ.
मेंहदी से लिख दूँ हथेलियों
पर मैं “राधा रानी”.
लिखूँ महावर से पैरों पर
फिर “मीरा दीवानी”.
तेरे-मेरे संबंधों पर ललित निबंध लिखूँ.
ढाई आखर में होता है क्या आनंद लिखूँ.
फिर गीतों में नख से शिख तक
हर श्रृंगार लिखूँ मैं.
जो जीवन को जीवन देता
है वो प्यार लिखूँ मैं.
अंतरतम तक ऐसे डूबूँ काव्य प्रबंध लिखूँ.
ढाई आखर में होता है क्या आनंद लिखूँ.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9415474674