मौसम
कितना सुहाना मौसम है
हरा – भरा हरियाली है!
रिमझिम बारिस की बूंदे
झम-झम अवनि पर बरसे!
छिपी धरती के सब बीज
नव अंकुर हो जाते हैं!
खेतों मे भी बनी क्यारियाँ
धान – फसल भी लगे न्यारियाँ!
फल- फूलों से लदी डालियाँ
झूकी हुई है अवनि पर!
पक्षी भी चहकन करतें
भौरें भी गुंजन करते!
वसुधरा हरा चादर ओढ़ें
नई- नवेली दुल्हन लगती!
पूरी प्रकृति सजी हुई है
अद्भुद् छवि बनी हुई है!
— बिजया लक्ष्मी