कविता

मौसम

कितना सुहाना मौसम है
हरा – भरा हरियाली है!

रिमझिम बारिस की बूंदे
झम-झम अवनि पर बरसे!

छिपी धरती के सब बीज
नव अंकुर हो जाते हैं!

खेतों मे भी बनी क्यारियाँ
धान – फसल भी लगे न्यारियाँ!

फल- फूलों से लदी डालियाँ
झूकी हुई है अवनि पर!

पक्षी भी चहकन करतें
भौरें भी गुंजन करते!

वसुधरा हरा चादर ओढ़ें
नई- नवेली दुल्हन लगती!

पूरी प्रकृति सजी हुई है
अद्भुद् छवि बनी हुई है!

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।