अमल
उस दिन मैं सैर पर जा रही थी और मनीषा कार में ड्राइविंग सीट पर बैठने वाली थी. उसने मुझसे नमस्ते की. पतली-सी मासूम चेहरे वाली मनीषा को कार की ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए देखकर मुझे हैरानगी हुई. ”लर्निंग लाइसेंस बनवा लिया है?”
”आंटी, अभी तो मैं ड्राइविंग सीख रही हूं.”
”मैं लर्निंग लाइसेंस की बात कर रही हूं.”
”आंटी, अभी नहीं बनवाया.”
बेटी उत्तर देती, उससे पहले ही उसके पापा बोले- ”जी अभी यह 18 की नहीं हुई है, 1-2 महीने बाद होगी.”वो क्या है न जी! इसकी छुट्टियां चल रही हैं न! फिर मैं तो साथ में हूं ही”. वे अभी कानून की धज्जियां उड़ाने के सम्मोहन से बाहर नहीं निकले थे.
”लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए उम्र 16 कम वर्ष से 18 के बीच होनी चाहिए, लर्निंग ड्राइविंग बनवाने में कोई मुश्किल भी नहीं है और कानून का पालन होने के साथ आपको कानून की सुरक्षा भी मिलती है.”
मैंने बेटी के मुखातिब हो फिर कहा ”आपको शायद पता होगा, कि बिना लर्निंग लाइसेंस के ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार चलाना कानून की धज्जियां उड़ाना है. कब तक बनवा लोगी?”
”आंटी, आज ही बनवा लूंगी और बिना लर्निंग लाइसेंस के ड्राइविंग नहीं करूंगी.” उसने दृढ़ता से कहा.
उसके बाद वह मुझे दिखी नहीं. शायद वह अपनी दृढ़ता पर अटल रही होगी. कम-से-कम एक परिवार तो कानून की धज्जियां न उड़ाने के संकल्प पर अमल करने लगा.
फिर उसने कार ड्राइविंग तभी की, जब ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया. उसने सीख पर अमल कर लिया था.
हैप्पी फादर्स डे
उंगली को पकड़ कर सिखलाता,
जब पहला क़दम भी नही आता…
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए,
पापा ही सहारा बन जाता||
दिन रात जो पापा करते हैं,
बच्चे के लिए जीते मरते हैं…
बस बच्चों की खुशियों के लिए,
अपने सुखो को मारते हैं||