कविता
हे मनुज अब जाग जाओ
तुम सफ़ल जीवन बनाओ
प्रेम का दीपक जलाकर
अब तिमिर को तुम मिटाओ
हिम्मतों से काम लो तुम
ये कदम आगे बढ़ाओ
त्याग कर अवसाद आलस
अब ज़रा कुछ कर दिखाओ
कर्म करके नेक ही बस
जिंदगी में पुन कमाओ
— डॉ. सोनिया
हे मनुज अब जाग जाओ
तुम सफ़ल जीवन बनाओ
प्रेम का दीपक जलाकर
अब तिमिर को तुम मिटाओ
हिम्मतों से काम लो तुम
ये कदम आगे बढ़ाओ
त्याग कर अवसाद आलस
अब ज़रा कुछ कर दिखाओ
कर्म करके नेक ही बस
जिंदगी में पुन कमाओ
— डॉ. सोनिया