गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ज़माना है बड़ा ज़ालिम, मुहब्बत है परेशानी,
जवानी है अक़ीदत है, इबादत है परेशानी।

गुज़ारिश है मेरी ज़ानिब, ज़रा तुम गौर से देखो,
मुसाफ़िर है सफ़र में है, हक़ीकत है परेशानी।

सहारा है इशारा है, नदी का बस किनारा है,
समन्दर को मिटाने की, शरारत है परेशानी।

दिवाना है दिवानी है, बहाना बस उसूलों का,
कहाँ जायें किधर जायें, रवायत है परेशानी।

बताना है दिखाना है, छिपाना है ज़माने से,
अदायें जान लेती हैं, मुहब्बत है परेशानी।

भलाई है, बुराई है, ग़लतफ़हमी इशारे हैं,
उठी आवाज़ दिल की तो, बग़ावत है परेशानी।

युवाओं को भरोसा है, कि उनका दौर आयेगा,
नया कुछ कर दिखाने में, सियासत है परेशानी

नवाब देहलवी

नवाब देहलवी

पेशा- साफ्टवेयर इंजी० रुचि : साहित्य लेखन व पठन पाठन लेखन-विधा : गीत, ग़ज़ल, नज़्म, मुक्तक, कहानी, कविता, उपन्यास।